Sunday, June 1, 2008

रास्ते

कहाँ आके रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था, उसे भूल जा
जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला उसे भूल जा।

वो तेरे नसीब की बारिशें, किसी और छत पे बरस गयीं
दिल-ऐ-बेखबर मेरी बात सुन, उसे भूल जा, उसे भूल जा।

में तो गुम था तेरे ही देह्याँ में, तेरी आस तेरे गुमान में
सब कह गई मेरे कान में, मेरे पास आ, उसे भूल जा।

किसी की आँख में नहीं अश्क-ऐ-गम, तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम
तुझे ज़िंदगी ने भुला दिया, तू भी मुस्कुरा, उसे भूल जा।

न वो आँख ही तेरी आँख थी, न वो ख्वाब ही तेरा ख्वाब था
दिल-ऐ-मुन्तजिर तो यो किस लिए, तेरा जागना, उसे भूल जा।

जो ये रात दिन का है खेल सा, उसे देख इसपे यकीं न कर
नहीं अक्स कोई भी मुस्तकिल, सर-ऐ-आइना उसे भूल जा।

जो बिसात-ऐ-जां ही उलट गया, वो जो रास्ते में पलट गया
उसे रोकने से हुसूल क्या, उसे मत बुला, उसे भूल जा।

- अमजद इस्लाम अमजद

कोई हमनफस नहीं है, कोई राज्दां नहीं है

कोई हमनफस नहीं है, कोई राज्दां नहीं है
फकत इक दिल था मेरा सो वो मेहेरबां नहीं है।

किसी और गम में इतनी खलिश-ऐ-निशाँ नहीं है
गम-ऐ-दिल मेरा रफीको गम-ऐ-रायेगां नहीं है।

मेरी रूह की हकीक़त मेरे आंशुओं से पूछो
मेरा मज्लिसी तबस्सुम मेरा तर्जुमा नहीं है।

किसी आँख को सदा दो किसी जुल्फ को पुकारो
बड़ी धूप पड़ रही है कोई सायेबां नहीं है।

इन्ही पत्थरों पे चलकर अगर आ सको तो आओ
मेरे घर के रास्तों में कोई कहकशां नहीं है।

- मुस्तफा जैदी

अब तो तबिअत भी कुछ हमसे जुदा लगती है!

अब तो तबिअत भी कुछ हमसे जुदा लगती है
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है।
कभी राज़ी तो कभी मुझसे खफा लगती है
ज़िंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है?

- अताउल्ला खान