Sunday, March 1, 2009

जिहाले मस्कीं मकुन तगाफुल

जिहाल ए मस्कीं मकुन तगाफुल दुराए नैना बनाये बतियाँ
की ताब ए हिज्राँ नादारम ए जां, न लेहो काहे लगाये छतियां।

शाबान ए हिज्राँ दराज़ चुन जुल्फ वा रोज़ ए वसलत चो उम्र कोता
सखी पिया को जो मैं न देखूं तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ.

यकायक अज दिल दो चश्म ए जादू बसद फरेबम बबुर्द तस्कीं;
किसे पड़ी है जो जा सुनावे पियारे पी को हमारी बतियाँ.

चो शम्मा सोज़ाँ चो ज़र्रा हैरां हमेशा गिरयां बे इश्क आँ में;
न नींद नैना न अंग चैना न आप आवें न भेजें पतियाँ.

बहक्क ए रोज़ ए विसाल ए दिलबर की दाद मारा ग़रीब खुसरौ
सपेट मन के वाराए राखूं जो जाए पाऊँ पिया के खटियाँ।

- अमीर खुसरो

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