Saturday, February 9, 2008

अपना गम लेके

अपना गम लेके कहीं और जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीजों को सजाया जाये

जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाये

बाग़ में जाने से आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उडाया जाये

खुद्खुशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमें
और कुछ दिन यूंही औरों को सताया जाये

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं करलें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाये

- निदा फज़ली

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