Sunday, June 1, 2008

अब तो तबिअत भी कुछ हमसे जुदा लगती है!

अब तो तबिअत भी कुछ हमसे जुदा लगती है
साँस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है।
कभी राज़ी तो कभी मुझसे खफा लगती है
ज़िंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है?

- अताउल्ला खान

No comments: