Thursday, November 22, 2007

चुपके चुपके

चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
हमको अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है

बाह्जारां इजतिराब--सद हजारां इश्तियाक
तुझसे वो पहले पहल दिल का लगाना याद है

तुझसे मिलते ही वो बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है

खींच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फतन
और दुपट्टे से तेरा वो मुँह छुपाना याद है

जानकार सोता तुझे वो कासा--पाबोसी मेरा
और तेरा ठुकरा के सर वो मुस्कुराना याद है

तुझको जब तनहा कभी पाना तो अज राह--लिबाज़
हाल--दिल बातों ही बातों में जताना याद है

जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना था
सच कहो क्या तुमको भी वो कारखाना याद है

ग़ैर की नज़रों से बचकर सबकी मर्ज़ी के खिलाफ
वी तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है

गया गर वस्ल की शब भी कभी ज़िक्र--फिराक
वी तेरा रो रो के मुझको भी रुलाना याद है

दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए
वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है

देखना मुझको जो बर्गास्ता तो सौ सौ नाज़ से
जब मना लेना तो फिर रूठ जान याद है

चोरी चोरी हम से तुम आकर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है

वक़्त--रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए
वो तेरे सूखे लबों का थरथराना याद है

बावजूद--इद्दा--इत्ताका हसरत मुझे
आज तक अहद--वफ़ा का ये फसाना याद है

-हसरत मोहनी

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