Tuesday, October 30, 2007

शबनम हूँ सुर्ख फूल पे

शबनम हूँ सुर्ख फूल पे बिखरा हुआ हूँ मैं
दिल मोम और धूप में बैठा हुआ हूँ मैं
कुछ देर बाद राख मिलेगी तुम्हें यहाँ
लौ बन के इस चिराग से लिपटा हुआ हूँ मैं

- डॉ बशीर बदर

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