Friday, October 19, 2007

हस सू दिखाई देते हैं वो जलवागार मुझे

हर सू दिखाई देते हैं वो जलवागार मुझे
क्या क्या फरेब देती हैं मेरी नजर मुझे

आया न रास नाला-ए-दिल का असर मुझे
अब तुम मिले तो कुछ नहीं अपनी खबर मुझे

डाला है बेखुदी ने अजब राह पर मुझे
आंखें है और कुछ नहीं आता नजर मुझे

करना है आज हजरत-ए-नासेह से सामना
मिल जाये दो घडी को तुम्हारी नजर मुझे

यकसां है हुस्न-ओ-इश्क की सर्मस्तियों का रंग
उनकी खबर उन्हें है न अपनी खबर मुझे

में दूर हूँ तो रूह-ए-सुखन मुझसे किसलिए
तुम पास हो तो क्यों नहीं आते नजर मुझे

दिल लेके मेरा देते हो दाग-ए-जिगर मुझे
यह बात भुलाने की नहीं उम्र भर मुझे

- दाग

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