अब तो घबरा के ये कहते हैं के मर जायेंगे,
मर के भी चेन ना पाया तो किधर जायेंगे।
हम नहीं वो जो करें ख़ून का दावा तुझपर,
बल्कि पूछेगा खुदा भी तो मुकर जायेंगे।
आग दोजख की भी हो जायेगी पानी पानी जब,
ये आसी अर्क-ए-शर्म से तर जायेंगे।
शोला-ए-आह को बिजली की तरह चमकाऊं,
पर मुझे डर है कि वो देख कर डर जायेंगे,
लाये जो मस्त हैं तुर्बत पे गुलाबी आंखें,
और गर कुछ नहीं, दो फूल तो धर जायेंगे।
नहीं पाएगा निशां कोई हमारा हरगिज़,
हम जहाँ से रवीश-ए-नज़र जायेंगे।
रुख-ए-रोशन से नकाब उलट देखो तुम,
मेहर-ओ-माह नज़रों से यारों की उतर जायेंगे।
पहुंचेंगे रहगुज़र-ए-यार तलक हम क्यूं कर,
पहले जब तक ना दो आलम से गुज़र जायेंगे।
"जौक" जो मदरसे के बिगड़े हुए हैं मुल्ला,
उनको मैखाने में ले आओ सँवर जायेंगे।
- उस्ताद जौक
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment