Wednesday, October 24, 2007

आता है याद मुझको

आता है याद मुझको गुजरा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब का चहचहाना

आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना

लगती हो चोट दिल पर आता है याद जिस दम
शबनम के अंशुओं पर कलियों का मुस्कुराना

वो प्यारी प्यारी सूरत, वो कामिनी सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना

- अल्लामा इकबाल

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