आता है याद मुझको गुजरा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें वो सब का चहचहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती हो चोट दिल पर आता है याद जिस दम
शबनम के अंशुओं पर कलियों का मुस्कुराना
वो प्यारी प्यारी सूरत, वो कामिनी सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना
- अल्लामा इकबाल
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