Friday, October 19, 2007

मेरी तस्वीर में रंग और किसी का तो नहीं

मेरी तस्वीर में रंग और किसी का तो नहीं
घेर लें मुझको सब आंखें, में कोई तमाशा तो नहीं

ज़िंदगी तुझसे हर इक साँस पे समझौता करूं
शौक जीने का है मुझको पर इतना तो नहीं

रूह को दर्द मिल, दर्द को आंखें न मिलीं
तुझे महसूस किया है, तुझे देखा तो नहीं

सोचते सोचते दिल डूबने लगता है मेरा
जेहन की तह में मुजफ्फर कोई दरिया तो नहीं

- मुजफ्फर वारसी

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